Tuesday, September 22, 2015

भारत में बिज़नेस करना अब भी बेहद मुश्किल


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'भारत में बिज़नेस करना अब भी बेहद मुश्किल' - BBC हिंदी

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन
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अमरीकी वाणिज्य मंत्रालय ने भारत में आर्थिक सुधार की धीमी रफ़्तार पर चिंता और निराशा ज़ाहिर की है.
भारत-अमरीका रणनीतिक और वाणिज्य साझेदारी को गति देने के लिए वाशिंगटन में सोमवार से शुरू हुई दो दिवसीय बैठक में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण भाग ले रही हैं.
एक जाने माने थिंकटैंक, कार्नेगी एनडाओमेंट, में बोलते हुए अमरीकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिज़कर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई अच्छे कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी भारत अमरीका का ग्यारहवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
उनका कहना था, “हमारी व्यापारिक साझेदारी अपनी असीमित क्षमता के आसपास भी नहीं पहुंच पाई है.”
उन्होंने कहा ये बाद दशकों से कही जा रही है लेकिन आज जो दुनिया का आर्थिक माहौल है उसमें दोनों ही देशों मे से कोई भी अपनी क्षमता से कहीं नीचे चल रहे इस प्रदर्शन का बोझ नहीं संभाल सकता.

लाल फ़ीताशाही

अमरीकी उद्योग जगत का कहना है कि भारत में बिज़नेस करना अभी भी बेहद मुश्किल है और लाल फ़ीताशाही में कुछ ख़ास बदलाव नहीं नज़र आ रहा है.
अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एलान किया है कि वो भारत को आसानी से बिज़नेस करनेवाले देशों की सूची के पहले 50 देशों में ले आएंगे लेकिन उसके लिए अभी लंबी दूरी तय करने की ज़रूरत होगी.
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विश्व बैंक की तरफ़ से जारी रिपोर्ट के अनुसार ऐसे कुल 189 देशों की सूची में भारत का नंबर 142 है.
वाणिज्य मंत्री प्रिज़कर का कहना था कि अनुबंधों को लागू करने की आसानी के मापदंड पर भारत 189 देशों की सूची में 186वें नंबर पर है.
उन्होंने कहा कि दो दिनों की इस बातचीत में इस पहलू पर ख़ासतौर से बात होगी और अमरीका इस क्षेत्र में अपने अनुभव और कांट्रैक्ट्स को समय सीमा के अंदर लागू करने की तकनीक को भारत के साथ बांटेगा.

उच्चस्तरीय समिति

भारतीय वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की अर्थव्यवस्था की ख़ूबियों का ज़िक्र किया, उर्जा के क्षेत्र में मिली सफलताओं का ज़िक्र किया और साथ ही कहा कि व्यापार के लिए सही माहौल बने उसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है.
उनका कहना था, “ये कमिटी पुराने बेतुके क़ानूनों की समीक्षा कर रही है और साथ ही उन क़ानूनों को भी देख रही है जो बिज़नेस के लिए नुकसानदेह हैं.”
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इस बैठक में अमरीकी और भारतीय उद्योग जगत की जानीमानी हस्तियां भी मौजूद थीं.
उद्दोगपति डेविड कोट का कहना था कि भारत में जो नौकरशाही है उसके रहते हुए कुछ भी करना असंभव सा लगता है.
उनका कहना था, “ऐसा लगता है जैसे भारत ने ब्रिटेन से नौकरशाही ले ही, उसे दोगुना कर दिया और उसमें दस गुना लोग जोड़ दिया. अगर वहां कुछ करना है तो नौकरशाही को अपनी स्पीड बढ़ानी होगी और बिज़नेस को मदद करने का माहौल बनाना होगा.”
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वहीं मौजूद भारतीय उद्दोगपति सुनील भारती मित्तल, किरण मज़ुमदार शॉ और सायरस मिस्त्री ने कहा कि सुधार आया है लेकिन जिन कदमों का एलान किया जाता है उन्हे मुस्तैदी से लागू करने की ज़रूरत है.

मेक इन इंडिया की धीमी रफ़्तार

भारत-अमरीकी वाणिज्य रिश्तों पर नज़र रखनेवाले विशेषत्रों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था अभी ढलान पर है, चीन के बारे में अमरीका में एक नकारात्मक और कड़वाहट भरा माहौल है और भारत को इसका फ़ायदा उठाना चाहिए.
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भारत-अमरीका परमाणु समझौते की नींव रखनेवालों में से एक, ऐशले टेलिस का कहना है कि अगर हालात नहीं बदले तो दोनों ही देश शायद ऐसे रणनीतिक साझेदार होंगे जो व्यापार मामलों में तकरीबन हर मंच पर एक दूसरे के ख़िलाफ़ नज़र आएंगे.
विषलेषकों का कहना है कि मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे नारों से प्रधानमंत्री ने एक राजनीतिक जोश ज़रूर पैदा किया है लेकिन उसे लागू करने की रफ़्तार इतनी धीमी है कि बहुत लोग अभी से उसकी तुलना मनमोहन सिंह सरकार की दूसरी पारी से करने लगे हैं.
#Corruption main without money nothing to do.Gov servant believe that he was king.
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लाल ग्रह पर मंगल मिशन कई सालों तक चलेगा: इसरो

लाल ग्रह पर मंगल मिशन कई सालों तक चलेगा: इसरो | Zee News Hindi


बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि लाल ग्रह पर इसका मंगल मिशन कई सालों तक चलेगा क्योंकि इसमें ज्यादा समस्या नहीं है, और अब तक किसी नाकामी का सामना नहीं करना पड़ा है। गौरतलब है कि इसरो मंगल पर अपना अंतरिक्षयान भेजे जाने के एक साल पूरा होने के जश्न की तैयारियों में जुटा है।
इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने यहां पत्रकारों को बताया कि मंगल (मिशन) कई सालों तक चलने की उम्मीद है क्योंकि यह सौर संयोजन की प्रक्रिया से भी गुजर चुका है। लिहाजा, हमें इसमें समस्या नहीं दिखाई देती।
भाषा

वो 13 झूठ जो हर गर्लफ्रेंड अपने ब्वॉयफ्रेंड से बड़ी सफाई से बोलती है

क्या आप जानना चाहेंगे वो ऐसे कौन से झूठ हैं जो आपकी गर्लफ्रेंड बड़ी सफाई से बोलती है? ये वाकई रोचक हैं। पढ़े तो सही।

.तो महिलाओं और पुरुषों को चाहिए ऐसे पार्टनर

....तो महिलाओं और पुरुषों को चाहिए ऐसे पार्टनर | Zee News Hindi


न्यूयॉर्क: पुरुषों में भले ही 'सुंदर' और 'छरहरी' महिला साथी की ललक ज्यादा हो, लेकिन सच यह है कि पुरुष और महिला दोनों ही इस बात का समान रूप से ख्याल रखते हैं कि उनका जोड़ीदार दिखने में आकर्षक हो। यह निष्कर्ष एक शोध में सामने आया है।
इस शोध को करने वाले चैपमैन विश्वविद्यालय के डेविड फ्रेड्रिक ने कहा, हमने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि पुरुषों और महिलाओं में लंबे समय तक के रिश्ते के लिए आकर्षक व्यक्तित्व और संसाधन किस हद तक 'अनिवार्य' हैं और किस हद तक 'वांछनीय' हैं। पहले के अध्ययनों से पता चला था कि लंबे समय तक रिश्ता बनाने से पहले 'सुंदरता' की तलाश में पुरुष आगे थे, जबकि महिलाओं का जोर संसाधनों पर था।
लेकिन, ताजा अध्ययन ने कुछ और नतीजा निकाला। मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर फ्रेड्रिक ने कहा, हमने पाया कि पुरुष और महिला, दोनों ही इस बात पर बल देते हैं कि उनका पार्टनर उन्हें आकर्षक लगे। धनी पुरुष और वे जो दिखने में अधिक आत्मविश्वासी होते हैं, वे सुंदर जोड़ीदार के बारे में बहुत तीव्र प्राथमिकता रखते हैं।
उन्होंने बताया कि जब हमने इसका प्रतिशत निकाला तो वह पुरुषों और महिलाओं का अलग-अलग निकला। सुंदर पार्टनर के पक्ष में 92 फीसदी पुरुष थे, जबकि महिलाओं में यह प्रतिशत 82 पाया गया। लेकिन, फिर भी साफ है कि दोनों का ही बहुत बड़ा हिस्सा 'सुंदर' दिखने वाले जोड़ीदार के ही पक्ष में है।
अध्ययन से पता चला कि पैसे वाले लोगों में सुंदर जोड़ीदार की चाहत सबसे अधिक होती है। लेकिन, धनी महिलाएं ऐसा पुरुष साथी चाहती हैं जिनकी आय नियमित हो और बहुत ज्यादा हो। अधिक पढ़े-लिखे पुरुष ऐसी महिला पार्टनर पसंद करते हैं जो सुंदर भी हो और छरहरी भी।
एजेंसी